सुप्रीम कोर्ट में वकील ऋषि मल्होत्रा के माध्यम से दायर एक याचिका में 13 दोषियों को तत्काल जेल से रिहा करने की मांग की गई है, जिन्हें अपराध के वक्त नाबालिग घोषित किया जा चुका है। 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर किए जाने के बाद किशोर न्याय बोर्ड को कैदियों की किशोरावस्था से संबंधित आवेदनों का निपटारा करने के निर्देश दिए गए थे। बोर्ड ने पाया कि अपराध के समय इन सभी की आयु 18 वर्ष से कम थी, ये सभी फिलहाल आगरा सेंट्रल जेल में बंद हैं। आगरा सेंट्रल जेल में बंद ये सभी, 14 साल से 22 साल तक जेल में गुजार चुके हैं।
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